हम अक्सर स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के बारे में सुनते हैं।
कितने लोग ट्रेडिंग करके लाखों में प्रॉफ़िट्स कमा लेते हैं।
वहीं कितनो को हज़ारों का लॉस भी होता है।
तो आखिर ट्रेडिंग होता क्या है?
ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट में क्या फर्क है?
ट्रेडिंग के कितने टाइप्स होते हैं?
और क्या ट्रेडिंग से रेगुलर इनकम कमाया जा सकता है?
आज हम इन सारे सवालों के जवाब जानेंगे।
नमस्कार दोस्तों,
स्वागत है आपका
आईये चलते हैं पहले सवाल पर।
ट्रेडिंग क्या होता है?
दोस्तों ट्रेडिंग को हिंदी में व्यापार बोलते हैं।
जिसका मतलब होता है किसी चीज़ को खरीदना
और फिर उसे बढ़े हुए दाम पर बेचना
ताकि प्रॉफिट हो सके।
ठीक इसी तरह स्टॉक मार्केट में
शेयर्स को बाय करना
और जैसे ही उस शेयर की प्राइस बढ़ जाये
उसे बेच कर प्रॉफिट कमाने को ही हम स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग कहते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि इन्वेस्टमेंट में भी तो यही होता है।
तो दोस्तों आप सही भी हैं और नही भी।
आईये चलते हैं दूसरे सवाल पर
ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट में क्या फर्क है?
दोस्तों इन्वेस्टमेंट में
हम शेयर्स को लंबे समय तक होल्ड करते हैं।
जैसे 1 साल,
5 साल या 10 साल।
लेकिन ट्रेडिंग मेंहम शेयर्स को बहुत कम समय तक होल्ड करते हैं।
जैसे 1 मिनट, 1 घंटा या कुछ महीने।
इन्वेस्टमेंट में हम ध्यान से अच्छी कंपनियों के शेयर्स को बाय करते हैं।
क्योंकि हम इन्वेस्टमेंट में
कंपनियों के शेयर्स को लंबे समय तक होल्ड करते हैं।
जबकि ट्रेडिंग में हम
बिना कंपनी की डिटेल्स जाने
बस प्राइस देख कर शेयर्स बाय करते हैं।
क्योंकि ट्रेडिंग में हमे बस प्राइस के मूवमेंट से मतलब होता है।
और जैसे ही प्राइस बढ़ती है,
हम शेयर को बेचकर प्रॉफिट कमा लेते हैं।
इन्वेस्टमेंट में पैसे लंबे समय मे बनते हैं।
पर रिस्क कम होता है।
क्योंकि हम अच्छी कंपनियों के शेयर्स को बाय करते हैं।
वहीं ट्रेडिंग में पैसे बहुत जल्दी बन जाते हैं।
पर यहाँ रिस्क थोड़ा ज्यादा होता है।
क्योंकि प्राइस की मूवमेंट
शॉर्ट टर्म में रैंडम होती है।
दोस्तों, इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग में सबसे बड़ा फर्क
नज़रिये का होता है।
अगर हमने किसी कंपनी को स्टडी करके,
उसके बिज़नेस को समझकर
और ये सोचकर शेयर्स बाय किया है कि
कंपनी लंबे समय में बहुत ग्रो करेगी
तो हम इसे इन्वेस्टमेंट कहेंगे।
और अगर हमने किसी कंपनी के शेयर्स
बिना कंपनी को स्टडी किये
बस प्राइस के पैटर्न्स को देखकर किया है
ताकि जैसे ही प्राइस बढ़े
हम उसे बेच कर प्रॉफ़िट्स कमा लें,
तो हम इसे ट्रेडिंग कहेंगे।
दोस्तों, कंपनीयों को ध्यान से स्टडी करना
और उसके बिज़नेस को समझने को हम
फंडामेंटल एनालिसिस कहते हैं।
और हमे इन्वेस्टमेंट करने से पहले
कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस ज़रूर करना चाहिए।
पर अगर हम
बस कंपनियों के शेयर्स के प्राइस को स्टडी करते हैं
और उसके पैटर्न को प्रेडिक्ट करने की कोशिश करते हैं
तो हम इसे टेक्निकल एनालिसिस कहते हैं।
और हमे ट्रेडिंग करने से पहले
शेयर्स का टेक्निकल एनालिसिस ज़रूर करना चाहिए।
अगर आपको फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस के बारे में पता नही है
तो हमने इनके ऊपर एक वीडियो बनाया हुआ है।
आप उस वीडियो को ज़रूर देखें।
आईये अब चलते हैं तीसरे सवाल पर।
ट्रेडिंग के कितने टाइप्स होते हैं?
दोस्तों, ट्रेडिंग में बेसिकली 4 टाइप्स होते हैं।
पहले टाइप के ट्रेडिंग को हम स्कैल्पींग कहते हैं।
इस तरह के ट्रेडिंग में हम
शेयर्स को कुछ मिनट्स के लिए बाय करते हैं।
और जैसे ही प्राइस थोड़ी सी भी बढ़ती है
हम उसे बेचकर प्रॉफ़िट्स कमा लेते हैं।
एग्जाम्पल के लिए
अगर हम एक कंपनी के 10 हज़ार शेयर्स
100 रुपये के प्राइस पर बाय करें
और कुछ मिनट्स बाद
जब शेयर्स की प्राइस 100 रुपये से बढ़कर
100.50 रुपये हो जाये
तो उसे बेचकर 5000 रुपये का प्रॉफिट कमा लें
तो इसे हम स्कैल्पींग कहेंगे।
दूसरे टाइप के ट्रेडिंग को हम इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं।
इस तरह की ट्रेडिंग में हम शेयर्स को कुछ घंटों के लिए रखते हैं।
और सेम डे, मार्केट क्लोज होने से पहले तक
शेयर्स को सेल करके प्रॉफिट कमाते हैं।
तीसरी टाइप की ट्रेडिंग को हम स्विंग ट्रेडिंग कहते हैं।
इस तरह की ट्रेडिंग में हम
शेयर्स को कुछ दिनों तक होल्ड करते हैं।
और एक या दो वीक्स के अंदर शेयर्स को सेल करके प्रॉफ़िट्स कमाते हैं।
और चौथे टाइप के ट्रेडिंग को हम पोजीशन ट्रेडिंग कहते हैं।
इस तरह के ट्रेडिंग में हम
शेयर्स को कुछ वीक से लेकर कुछ मन्थ्स तक होल्ड करते हैं।
और फिर उनको सेल करके प्रॉफिट कमाते हैं।
दोस्तों, अब हम आ गए हैं अपने आख़िरी सवाल पर।
क्या ट्रेडिंग से रेगुलर इनकम कमाया जा सकता है?
दोस्तों, ट्रेडिंग से रेगुलर इनकम कमाना बिल्कुल पॉसिबल है।
पर आसान नहीं।
ट्रेडिंग से रेगुलर इनकम कमाने के लिए
हमे सबसे पहले पैसो की ज़रूरत होगी।
क्योंकि ट्रेडिंग में
अगर हम प्राइस की छोटी मूवमेंट से अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं
तो हमे ज्यादा शेयर्स लेने पड़ेंगे।
जिसके लिए हमे ज्यादा पैसो की ज़रूरत पड़ेगी।
पैसो के साथ-साथ
हमे टेक्निकल एनालिसिस की अच्छी नॉलेज होनी चाहिए।
तभी हम प्राइस के पैटर्न को समझ सकेंगे।
और सही टाइम पर शेयर्स को बाय या सेल कर पाएंगे।
इसके साथ-साथ
हमे लॉस को कम से कम रखने के लिए
स्टॉपलॉस के यूज़ को अच्छे से समझना होगा।
स्टॉपलॉस के ऊपर हमने अलग से एक वीडियो बनाया हुआ है
आप उस वीडियो को ज़रूर देखें।
और दोस्तों ट्रेडिंग में सबसे इम्पॉर्टेन्ट है लगातार अपनी गलतियों से सीखना।
और हार ना मानना।
क्योंकि हर सक्सेसफुल ट्रेडर सक्सेसफुल तभी होता है
जब वो लगातार अपनी ट्रेडिंग को अच्छा करता जाता है।
तो अगर आप भी एक सफल ट्रेडर बनना चाहते हैं
तो इन सारे पॉइंट्स को अच्छे से फॉलो करें।
Thank You